आर्य और काली छड़ी का रहस्य-49
अध्याय-17
अंत-एक नई शुरुआत
भाग-1
★★★
एक अनजान जगह।
यह एक शहरी ईलाका था। काफी सारे घरों और लोगों की भीड़भाड़ वाला इलाका। मगर इस वक्त रात का अंधेरा था तो हर तरफ शांति बिखरी हुई थी। कहीं भी किसी तरह की हलचल नहीं दिखाई दे रही थी। सड़कें खाली थी। गलियों में अंधेरा व्यापत था। और घरों की लाइटें बंद थी।
तभी अचानक कुछ घरों के बीच बनी एक गली में हल्की लाल रंग की रोशनी हुई और वहां वो अंधेरी परछाई प्रकट हुई जिसमें आर्य के बाबा को मारा था। उसके कपड़े और वेशभूषा वैसी ही थी जैसी आर्य के बाबा को मारते वक्त थी। चेहरे वाली जगह से चेहरा गायब था। शरीर पर काले रंग का चोगा था। उस चोगे में उसका हाथ तक नहीं दिख रहा था।
उसने अपने आसपास देखा और गली की तरफ सामने की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। चलते-चलते अचानक उसके रूप में परिवर्तन होने लगा। उसका काले रंग का चोगा काले कोट पैंट में बदल गया। उसके बिना चेहरे वाले चेहरे पर एक ऐसा चेहरा आ गया जो किसी 48 साल के व्यक्ति का लग रहा था। चेहरे पर दाढ़ी भी थी और मुछे भी। सर के बाल सलीके से सजे हुए थे। कुछ ही देर में चलते चलते वह किसी सज्जन व्यक्ति की तरह हो गया था जो किसी पार्टी में जा रहा था। पूरी तरह से रूप परिवर्तन हो जाने के बाद उसने अपने बाएं हाथ को ऊपर किया और उस पर लगी घड़ी को ठीक से बांधा। घड़ी बांधने के बाद उसने अपना कोलर ठीक किया।
जल्द ही वह गली से बाहर निकल कर सड़क पर आ गया। सड़क पर उसने दाएं और की दिशा पकड़ी और ठीक चौथे घर के पास जाकर उसका दरवाजा खटखटाया।
दरवाजा खटखटाने के बाद उसने उसके खुलने का इंतजार किया। कुछ देर बीत जाने के बाद अंदर से किसी लाल रंग की ड्रेस पहनी औरत ने दरवाजा खोला। वह औरत इस तरह से सजी हुई थी जैसे मानो कोई रहीश औरत हो। उसके बाल जुड़े के रूप में थे। लाल रंग की ड्रेस घुटनों से कटी हुई थी। शरीर थोड़ा ज्यादा चौड़ा था और उम्र तकरीबन 35 के आसपास थी।
उसने कोट पेंट वाले आदमी को कहा “ तुम्हें यहां देख कर खुशी हुई आरदु....। सब आ चुके हैं बस तुम्हारा ही इंतजार है। वियोना तो सबसे पहले आ गए थे।”
“जुने...!” आरदु ने सामने खड़ी औरत का नाम लिया “तुम्हारी खूबसूरती दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कहीं तुम इसानों की खूबसूरती बढ़ाने वाली चीजों का तो इस्तेमाल नहीं कर रही।”
यह सुनते ही सामने खड़ी औरत जुने गदगद हो उठी। शायद उसे अपनी तारीफ सुनना पसंद था। मगर जल्द ही उसने खुद को शांत किया और मायुसी वाले चेहरे के साथ बोली “मेरे ख्याल से अभी का वक्त इन सब बातों को करने का नहीं है। एक बहुत बड़ा मसला हो गया है जिसके लिए सभी को यहां इकट्ठा किया गया है। तुम्हें भी उसी के लिए बुलाया गया है। एक बार मसले को लेकर बात कर लो, फिर इत्मीनान से इस बारे में बात करेंगे।”
“बेशक!!” आरदु ने अपनी आंखों को मटकाया। जुने ने उसके लिए दरवाजा छोड़ दिया और वह अंदर चला गया।
पूरा घर आलीशान था। घर की चकाचौंध देखने लायक थी। मगर इसके बावजूद यहां एक अलग सा ही सुनसान पन था। एक अलग ही तरह का सन्नाटा। आरदु चलते हुए घर के मेन हाॅल में आया जहां उसकी नजर डाइनिंग टेबल पर गई। डाइनिंग टेबल पर तकरीबन 9 लोग बैठे हुए थे। चार लोग टेबल के एक तरफ से, चार लोग टेबल के दूसरी तरफ, जबकि एक सामने की तरफ। सामने बैठे आदमी के सामने रखी कुर्सी खाली पड़ी थी। आरदु ने उन सभी को और उन सभी के उतरे हुए चेहरों को देखा। हर कोई अलग-अलग उम्र का था। मगर सभी मर्दाना थें। इनमें आठ आमने सामने बैठे लोगों की उम्र 30 से 40 के बीच की थी। जबकि सामने बैठा आदमी ही 70 साल के करीब लग रहा था। उसकी दाढ़ी भी बड़ी बड़ी थी जिसे उसने रबड़ लगा कर अलग ही रूप दे रखा था। ठोढी के पास कुल 3 रबड़ लगे हुए थे, जबकि ऐसे ही कुछ रबड़ गाल वाली दाड़ी पर लगे थे।
आरदु खाली कुर्सी पर बैठा और सामने वाले आदमी से कहा “क्या हुआ....वियोना!! ऐसा क्या हो गया जो तुमने इस तरह से सभी को इकट्ठा किया।”
“एक बुरी खबर है। बुरी भी नहीं बल्कि कुछ ज्यादा ही बुरी खबर। इस खबर की वजह से हमारे सबसे बड़े मकसद पर सवालिया निशान लग गए हैं। हमें अपने रास्ते को बदलते हुए दूसरे रास्ते पर विचार करने का सोचना पड़ रहा है।”
“दूसरे रास्ते... आखिर बात किस बारे में हो रही है?”
“शैतान को वापस लाने के बारे में... हमें अब शैतान को वापस लाने के लिए किसी दूसरे रास्ते की तलाश करनी पड़ेगी।”
“मगर क्यों? हमारे पास एक रास्ता तो है जिसमें हमें दोनों ही छडी़यों को हासिल करना है। उसके होते हुए दूसरे रास्ते की तलाश क्यों?”
“क्योंकि उनमें से एक छड़ी खत्म हो चुकी है। किसी ने काली छड़ी को मार दिया।” वियोना कहने के बाद नीचे की तरफ देखने लगा। वही यह सुनकर आरदु के चेहरे पर एक कभी न खत्म होने वाला सन्नाटा छा गया। उसने अपने बाएं हाथ को उठाया और अपने मुंह पर रख लिया। फिर बस टकटकी लगा कर वहां बैठे लोगों के चेहरे को एक-एक कर देखने लगा। आखिर में वो वियोना के चेहरे पर आकर ठहर गया।
तभी जुने एक बड़ी ट्र के साथ आई और उसने वाइन के छोटे छोटे गिलास हर किसी के सामने रख दिए। उसके गिलास रखने की इस प्रक्रिया में कुछ देर के के लिए शांत माहौल कांच के बर्तनों की आवाज की वजह से शांत नहीं रहा। सभी गिलासों को रखने के बाद जुने वहां एक तरफ जाकर खड़ी हो गई।
“कब हुआ यह...?” आरदु ने पुछा।
“2 दिन पहले...” वियोना ने जवाब दिया।
तभी अचानक आरदु के चेहरे पर जोरदार गुस्से की लकीरें आई और उसने अपनी कुर्सी से खड़े होते हुए टेबल को पकड़कर उठा मारा। पूरा का पूरा 80-90 किलो के भार वाला टेबल वियोना के ऊपर से उड़ता हुआ उसके पीछे जा गिरा।
आरदु टेबल गिराने के बाद बोला “और तुम लोग मुझे अब बता रहे हो.... दो दिन बाद...”
वियोना कुछ देर के लिए शांत रहा। उसने तब तक कुछ नहीं कहा जब तक आरदु अपनी कुर्सी पर वापस नहीं बैठ गया। उसके बैठने के बाद वियोना बोला “हमें भी आज ही पता चला है। काली छड़ी के खत्म करने वाले ने उसकी ज्ञानेंद्रियां यानि कि उसकी मक्खियों को भी नहीं छोड़ा। उनमें से बस गिनती की 2 ही मक्खियां बची जिन्हें आश्रम से बाहर निकलकर सूचना देने में 2 दिन का वक्त लग गया। उन्होंने आश्रम के बाहर मौजूद हमारे गुप्तचरो को इस बारे में बताया और फिर हमारे गुप्तचरो ने मुझे। मुझे जैसे ही इस बारे में पता चला मैंने तुम सब को यहां बुला लिया। अगर मुझे इस बारे में पहले पता चलता तो मैं तुम सबको पहले बुलाता।”
“यह हुआ कैसे..? कुछ पता चला यह किसने किया?” आरदु ने अपने गुस्से को एक तरफ करते हुए कहा।
“फिलहाल नहीं। मक्खियों से इस बारे में जानकारी नहीं मिली। उनकी हालत खराब थी तो बस काली छड़ी के मरने की खबर देने के बाद वह खुद भी मर गई। यह काम किसी का भी हो सकता है। मेरे ख्याल से आश्रम के मुखिया आचार्य वर्धन इस काम को अंजाम दे सकते हैं।”
“मुझे नहीं लगता।” आरदु वियोना की बात को काटते हुए बोला “अगर यह उसके बस की बात होती तो वह बहुत पहले काली छड़ी को खत्म कर देता। यह जरूर किसी और का काम होगा। किसी ऐसे का जिसे हम नहीं जानते।”
“लेकिन उसने जो भी किया है उससे हमारी मुश्किलें बढ़ीं है। हमारे लोगों में निराशा फैल गई हैं, किसी को नहीं पता अब आगे क्या होगा। कुछ लोग तो यह तो कहने लगे हैं कि अब शैतान को वापस नहीं लाया जा सकता, क्योंकि दोनों छड़ीयों में से एक छड़ी ही नहीं रही।”
“उसका अवशेष तो होगा ना। यह मत भुलो हमें काली छड़ी में उसकी काली और सफेद रोशनी वाला हिस्सा चाहिए। और ब्रह्मांड की कोई भी शक्ति उस हिस्से को खत्म नहीं कर सकती। उसे अभी भी कुछ नहीं हुआ होगा। जिन भी लोगों में निराशा फैली है उन्हें बताओ शैतान को वापस लाने के मकसद में छड़ी का जिंदा होना या ना होना कोई मायने नहीं रखता। उन दोनों ही छड़ियों में हमें उन दोनों की अलग-अलग तरह की रोशनीयां चाहिए।”
“इस बारे में सभी को आगाह कर दिया जाएगा। मैं खत लिखता हूं जो हमारी सभी अंधेरी परछाइयों को एक साथ मिल जाएगा।”
आरदु बोला “आश्रम की समस्या अब बड़ा रूप लेती जा रही है। पिछले कुछ सालों तक तो वह बस अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन काली छड़ी को खत्म करने वाले काम ने दिखा दिया है कि अब वह आक्रामक होने वाले हैं। हमने बड़ी मुश्किल से आश्रम को कमजोर किया है, ऐसे में अगर वह आक्रामक हो गए तो उनकी हिम्मत और बढ़ जाएगी। इस आश्रम की समस्या का परमानेंट हल करना होगा, कुछ ऐसा करना होगा जो उनकी बढ़ी हुई हिम्मत को वापस कम कर दें।”
“लेकिन हम ऐसा क्या करेंगे... हमारी अब तक की रणनीति में हमने उनके आश्रम को चारों तरफ से घेर रखा है। किसी में भी आश्रम के सुरक्षा चक्कर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं है।” वियोना ने अपनी बात रखी।
“हम शैतान से बात करेंगे। हम उनसे इस मसले में भागीदारी लेने के लिए कहेंगे।”
अचानक यह सुनते ही वहां मौजूद सभी के चेहरे घूम कर आरदु को देखने लगे। हर कोई इस बात से हैरान हो गया था जो आरदु ने कही थीं।
वियोना ने एक हल्की हिचकिचाहट के साथ कहा “शैतान के साथ बात!! तुम्हें लगता है शैतान इस तरह के मसले में खुद आगे आएंगे? उनके लिए यह मसला किसी चिंटी को मसलने के बराबर है और वो कभी भी इसमें अपना हाथ नहीं डालेंगे।”
“हां मैं जानता हूं। मैं जानता हूं यह मसला उतना बड़ा नहीं जितना बड़ा बन गया है। आश्रम और हमारे बीच में बस एक सुरक्षा चक्र की दीवार है। अगर वह ना होती तो हम अब तक अपने मकसद में कामयाब हो चुके होते। लेकिन इसके बावजूद मैं शैतान को इसमें अपनी भागीदारी देने के लिए इसलिए कहना चाहता हूं ताकि हमारे लोगों का हौसला बढें। कुछ सालों तक किसी भी तरह की कामयाबी ना मिलने के कारण हमारे लोग निराश और आलसी हो गए हैं। अगर शैतान अपनी तरफ से अपने छह सिपेहसालारों में से भी किसी एक को भेजते हैं तो यह हमारे लिए सबसे बड़ी कामयाबी होगी। हमारे लोगों में आत्मविश्वास फेलेगा। सिपहसालार की क्षमता का सामना करने का सामर्थ्य आश्रम में किसी के पास नहीं। उनके सारे अचार्य मिलकर भी एक सिपेहसालार का सामना नहीं कर सकते। हम एक बेहतर रणनीति बनाएंगे, और किसी दूसरे रास्ते का इस्तेमाल कर आश्रम को झकझोर कर रख देंगे। इस बार हमारी जीत होगी। हम अपने मकसद में कामयाब होंगे। हम शैतान को इस दुनिया में लाकर ही रहेंगें।” अपनी पूरी बात कह लेने के बाद आरदु खड़ा हुआ और सभी से पूछा “क्या तुम सब इस बात को लेकर सहमत हो कि मैं शैतान से बात करुं....। मैं उनसे मदद मांगु।”
वियोना अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपने दोनों हाथ फैलाते हुए बोला। “मुझे कोई एतराज नहीं, यह सब हम शैतान के लिए ही कर रहे हैं, ऐसे में उनसे बात करने में कोई हर्ज नहीं।”
दोनों ही बाकी के लोगों के बोलने का इंतजार करने लगे। कुछ देर तक तो किसी तरह की आवाज नहीं आई। मगर इसके बाद सभी ने बारी-बारी कहा। “हां, बात कर लेनी चाहिए।”
आखिरकार आरदु के चेहरे पर यह सुनकर एक अजीब सी शैतानी मुस्कान आ गई। उसने सर हिलाकर हामी भरी और वहा से बाहर दरवाजे की तरफ चल पड़ा। वह अब शैतान से बात करने वाला था। दरवाजे के पास आते ही उसने जुने को आवाज लगाई। “तुम भी मेरे साथ चलो।” जुने ने अपने हाथों को मसला और तेजी से चल पड़ी।
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